जिन्होनें क्रांतियां की वे अब क्रांतियों से डरने लगे हैं
क्रांतियह शब्द अब उन्हें नहीं भाता
इसे सुनते ही उनकी नींद उड़ जाती है
मैक्लोडगंज में लगातार हारता एक धर्मगुरु
अचानक जीतता दिखाई देने लगता है
उन्हें लगता है यह लाल वस्त्रधारी
कहीं हमारे लाल रंग को न हरा दे
बंदूक की नली से होकर निकली सत्ता
बंदूक की नली में तब्दील होकर रह जाती है
मनुष्य की स्वतंत्रता की बात करने वाली चेतना
दिखाई देती है स्वतंत्रता की चाहत रखने वाले
मनुष्य के विरूद्ध षड़यंत्र में जुटी
रंगे अदक तुम इतनी जल्दी
थ्यैन आन मन चैक को कैसे भूल गये
रंगे अदकः एक बौद्ध भिक्षु जिसे घोड़ो की रेस के दौरान दलाई लामा जिंदाबाद का नारा लगाने पर चीन ने आठ बरस का कारावास दे दिया ।
1 comment:
बेमिसाल रचना..
नीरज
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