दिनांक २३ अक्टूबर २००८ को भारत भवन भोपाल में स्वर्गीय विभा मिश्रा स्मृति चार दिवसीय समारोह में tirkarsh नाट्य समूह द्वारा "स्त्री मेरे भीतर" का नाट्य मंचन प्रस्तुत किया गया।
पवन जी आपके ब्लाग में आपकी कविता ही देखने पढ़ने को नहीं मिली। अपनी कविता को किताबों में बंद मत रखिए। आज ये देखकर बहुत खुशी हुई की आप भी ब्लाग जगत में हैं दुनिया के साथ।
18 जून 1964 ग्वालियर में जन्म
हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर तथा जनसंचार
एवं मानव संसाधन विकास में स्नातकोत्तर पत्रोपाद्यि
इस तरह मैं (2000 )स्त्री मेरे भीतर (2004) अस्पताल के बाहर टेलीफोन (2009) तीन कविता संग्रह प्रकाशित
अंग्रेजी, रूसी, नेपाली, तमिल, तेलुगु, कन्नड, गुजराती, असमिया,बांग्ला, पंजाबी ,उड़िया तथा उर्दू में कविताओं के अनुवाद
कविता संग्रह स्त्री मेरे भीतर मलयालम, मराठी
तथा उर्दू में प्रकाशित, संग्रह की कविताओं का
भारत भवन भोपाल से नाट्य-मंचन प्रांरभ एवं
संग्रह का मराठी अनुवाद स्त्री माझ्या आत
मराठवाड़ा विश्वविद्यालय नांदेड़ महाराष्ट्र के
स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल
रामविलास शर्मा पुरस्कार (2000) रजा पुरस्कार (2002)वागीश्वरी सम्मान (2004) पूश्किन सम्मान (2006)
शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान (2007), परंपरा ऋतुराज सम्मान ( 2009 )
सम्प्रति : शासकीय सेवारत, म0प्र0 के प्रमुख समाचार पत्र ‘नवभारत‘ ग्वालियर में साहित्यिक पृष्ठ ‘सृजन‘ का पांच वर्षो तक सम्पादन एवं नई दुनिया ग्वालियर में प्रति सप्ताह
शब्द -प्रसंग साहित्यिक स्तंभ का लेखन
संपर्क : सावित्री‘ आई-10 साईट नं-1
सिटी सेंटर, ग्वालियर-474002 (म0प्र0)
दूरभाष - 0751 - 2234430 (निवास)
मोबाईल- 09425109430
ई मेल :pawankaran64@rediffmail.com
pawankaran64@gmail.com
9 comments:
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
एक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.
नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है|शुभकामनायें|
फंस गए आप भी आखिर ...
देर आये दुरुस्त आये
स्वागत
svaagat hai aapka
shrimaan jee
N.K. Thamban
Pawan Karan Badhai. Aap ka blog beautifull hai
Dear Pawanji
Aap ka jo blog hai bhahut sunder hai. Aap ko bahut badhai ho
Sarita Bhadkaria
yah to bahut achchha hai.
badhai.
Hoon, Not Bad,
पवन जी
आपके ब्लाग में आपकी कविता ही देखने पढ़ने को नहीं मिली। अपनी कविता को किताबों में बंद मत रखिए। आज ये देखकर बहुत खुशी हुई की आप भी ब्लाग जगत में हैं दुनिया के साथ।
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